Sad Shayari in Hindi
ज़ख्म तो आज भी ताज़ा है
बस वो निशान चला गया,
इश्क तो आज भी बेपनाह है
बस वो इंसान चला गया.
रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा की ,,
ये तेरीे आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी !!
हम उसके चेहरे को कभी कभी रुख से उतार देते है,
कभी कभी तो हम खुद को ही मार देते है.
अब तेरा नाम ही काफी है,
मेरा दिल दुखाने के लिए.
पत्थरों से प्यार किया क्योंकि नादान थे हम,
गलती हुई क्योंकि इंसान थे हम,
आज जिन्हें हमसे नजरे मिलाने में तकलीफ होती है,
कल उसी इंसान की जान थे हम.
इंसान की ख़ामोशी ही काफ़ी है,
ये बताने के लिये की वो अंदर से टूट चूका है.
गुजरता वक़्त हमें एहसास दिला देता है,
जिसे चाहते हैं हम वो ही दिल दुखा देता है,
वक़्त मरहम लगा देता है जिन जख्मो पर,
कोई अपना उस दर्द को फिर से जगा देता है.
बरसो गुजर गए रोकर नहीं देखा,
आँखों में नींद थी सोकर नहीं देखा,
आखिर वो क्या जाने दर्द मोहब्बत का,
जिसने किसी को कभी खोकर नहीं देखा.
कहीं पे किसी रोज़ ऐसा भी होता,
ये जो हमारी हालत है वो तुम्हारी होती;
इस रात को तड़प कर गुज़ारा,
काश ये रात तुमने भी गुजारी होती.
एक दर्द छुपाए फिरते है बरसो से दिल में,
क्यों ना आज कह दू इस भरी महफ़िल में,
जिसको अपना हमसफ़र समझता था,
वहीं कांटा बन गया आखिर मेरी मंज़िल में.
सांस थम जाती है पर जान नही जाती,
दर्द होता है पर आवाज नही आती,
अजीब लोग हैं इस जमाने में,
हम भूल नही पाते और किसी को याद नही आती.
यूँ सजा न दे मुझे बेकसूर हूँ मैं,
अपना ले मुझे गमों से चूर हूँ मैं,
तू छोड़ गई हो गया मैं पागल,
और लोग कहते है बड़ा मगरूर हूँ मैं.
जब भी उनकी याद आती है,
दिल टूट जाता है,
और रोने को दिल चाहता है.
कभी गम तो कभी वेबफाई मार गई,
कभी उनकी याद आई तो जुदाई मार गई,
जिसको हमने बेइन्तहा मोहब्बत की,
आखिर में हमे उसी की वेबफाई मार गई.
ना जिंदगी मिली न वफ़ा मिली,
क्यों हर खुशी हम से खफा मिली,
झूठी मुस्कान लिए दर्द छुपाते रहे
सच्चे प्यार की हमें क्या सजा मिली.!💔
कभी दूर तो कभी पास थे वो,
न जाने किस किस के करीब थे वो,
हमे तो उन पर खुद से भी ज्यादा भरोसा था,
लेकिन ठीक ही कहता था ये जमाना, वेबफा थे वो.
अब बेमतलब की दुनिया का सिलसिला खत्म,
अब जिस तरह की दुनिया है उसी तरह के है हम.
वक्त नूर को बेनूर कर देता है,
छोटे से जख्म को नासूर कर देता है,
कोन चाहता अपनी मोहब्बत से दूर रहना,
लेकिन वक्त सबको मजबूर कर देता है.
दुनिया में उल्फत का यही दस्तूर होता है,
दिल से जिसे चाहो वही हमसे दूर होता है,
दिल टूट कर बिखरता है इस कदर जैसे,
काँच का खिलौना टूट कर चूर चूर होता है।
तू क्या जाने की क्या है तन्हाई,
टूटे हर पत्ते से पूंछो की क्या है जुदाई,
हमको तू कभी वे वेबफाई का इलज़ाम न देना,
तू उस वक्त से पूछ की मुझे तेरी याद कब नही आई.
उसको भी हम से मोहब्बत हो ज़रूरी तो नहीं…
इश्क ही इश्क की कीमत हो ज़रूरी तो नहीं..!